कानपुर. उत्तर प्रदेश बोर्ड ने 10वीं परीक्षा का रिजल्ट शनिवार को जारी कर दिया. इस परीक्षा में कुल 88.18 फीसदी छात्र पास हुए. इनमें छात्राओं ने एक बार फिर बाजी मारी है. 10वीं के एग्जाम में 91.69 फीसदी छात्राएं पास हुईं, वहीं 85.25 फीसदी छात्र पास हुए.
इस परीक्षा में सबसे शानदार प्रदर्शन कानपुर के प्रिंस पटेल का रहा है. अनुभव इंटर कॉलेज इस छात्र ने 10वीं परीक्षा में कुल 97.67 फीसदी अंक लाकर टॉप किया है. मूल रूप से फतेहपुर जिला के बिंदक तहसील स्थित इब्राहिमपुर नवाबाद के रहने वाले अजय कुमार के बेटे प्रिंस ने 10वीं बोर्ड में गणित और विज्ञान विषय में 100-100 अंक हासिल किए. वहीं अंग्रेजी में 99 अंक, हिन्दी में 98 अंक, चित्रकारी में 96 अंक तथा समाज विज्ञान में 93 अंक हासिल किए.
प्रिंस की इस सफलता से उनके परिवार सहित पूरे गांव में खुशी का माहौल है. प्रिंस के नाते-रिश्तेदार उन्हें मिठाई खिलाकर उज्जव भविष्य की शुभकामनाएं दे रहे हैं.
मथुरा, जागरण टीम। कान्हा की नगरी में दसवीं बोर्ड परीक्षा परिणाम में एक बार फिर छात्राओं ने बाजी मारी है। जिले में मथुरा में 94.67 प्रतिशत छात्राएं पास हुयी हैं। वहीं 89.29 प्रतिशत छात्र उत्तीर्ण हुए हैं। जिले में तेज प्रकाश सिंह, शांति देवी हायर सेकेंडरी स्कूल के छात्र 94.50 प्रतिशत के साथ टॉप आए हैं।
शीलचंद्र कैलाशी देवी स्कूल बलदेव के दीपक 93 फीसद के साथ दूसरे स्थान पर और डीएवी इंटर कॉलेज मथुरा के मोहित और आरडीएम स्कूल बलदेव के मनवीर 92.89 फीसद के साथ संयुक्त रूप से तीसरे स्थान पर आए हैं।
माध्यमिक शिक्षा परिषद के हाईस्कूल बोर्ड परीक्षा का परिणाम शनिवार दोपहर दो बजे जारी कर दिया गया। रिजल्ट की घाेषणा के बाद से परीक्षार्थियों की धड़कनें भी तेज हो गई थीं। पहली बार यूपी बोर्ड में लिखित परीक्षा संपन्न कराने के बाद प्रयोगात्मक परीक्षाएं आयोजित कराई थीं। यही वजह रही कि मूल्यांकन समय से पूरा हो जाने के बावजूद भी परीक्षा परिणाम आने में देरी हुई।
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नकल पर लगा था पूरी तरह अंकुश
इस बार बोर्ड परीक्षा के दौरान नकल पर पूरी तरह से अंकुश तथा सघन निगरानी के कारण हजारों परीक्षार्थियों ने शुरुआत में ही परीक्षा छोड़ दी थी। कुछ परीक्षार्थियों को पास फेल होने की चिंता थी तो मेधावी विद्यार्थी अपने अंक प्रतिशत को लेकर फिक्र में थे। रिजल्ट आने की जानकारी के बाद अभिभावकों में भी जिज्ञासा बढ़ गई ।
उधर परीक्षा परिणाम को लेकर स्कूल संचालक भी बेचैन रहे क्योंकि बोर्ड परीक्षा में स्कूलों की मनमानी किसी भी स्तर पर नहीं चल पाई। उन्हें चिंता थी कि स्कूल का परीक्षा परिणाम खराब हुआ तो नए सत्र में उनके स्कूलों का भविष्य विद्यार्थियों के पलायन के बाद खराब हो सकता है।