इस सोलर फ्लेयर को M3.4 के रूप में रजिस्टर किया गया है। इस सौर विस्फोट को ‘मीडियम’ क्लास में रखा गया है।
ख़ास बातें
- करीब 3 घंटे तक अंतरिक्ष में सोलर रेडिएशन निकला
- सोलर डायनेमिक्स ऑब्जर्वेटरी ने किया इसका ऑब्जर्वेशन
- ‘मीडियम’ क्लास का सोलर फ्लेयर था यह
हमारे सूर्य में होने वाली घटनाएं वैज्ञानिकों में दिलचस्पी जगाती हैं। दुनियाभर के साइंटिस्ट सूर्य में होने वाली हलचलों पर नजर बनाए रखते हैं। एक बार फिर वैज्ञानिकों ने सोलर फ्लेयर को देखा है। रिपोर्टों के अनुसार, सोमवार को एक विस्फोट के बाद काफी देर तक सूर्य से चमक निकली, जिसे दो सोलर एयरक्राफ्ट ने कैप्चर कर लिया। इसका वीडियो भी सामने आया है।
इस दौरान करीब 3 घंटे तक अंतरिक्ष में सोलर रेडिएशन निकला। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) की सोलर डायनेमिक्स ऑब्जर्वेटरी (SDO) ने इसका ऑब्जर्वेशन किया है। यह आब्जर्वेटरी साल 2010 से सूर्य स्टडी कर रही है।
space.com ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि इस सोलर फ्लेयर को M3.4 के रूप में रजिस्टर किया गया है। इस सौर विस्फोट के ‘मीडियम’ क्लास में रखा गया है। हालांकि इस वजह से एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अस्थायी तौर पर रेडियो ब्लैकआउट हो सकता था, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। गौरतलब है कि सोलर फ्लेयर्स को तीन कैटिगरीज सी, एम और एक्स में बांटा जाता है।
इनमें से सी कैटिगरी के सोलर फ्लेयर सबसे कमजोर और एक्स कैटिगरी के सोलर फ्लेयर्स सबसे ताकतवर माने जाते हैं।
LONG-DURATION SOLAR FLARE: Growing sunspot AR3032 exploded on June 13th (0407 UT), producing an M3-class solar flare that lasted more than 3 hours. NASA’s Solar Dynamics Observatory recorded the slow-motion blast: pic.twitter.com/vsDvU8CyBe
— Tex (@TexN9ne) June 13, 2022
बताया जाता है कि यह सोलर फ्लेयर एक कोरोनल मास इजेक्शन (CME) से भी जुड़ा था। कोरोनल मास इजेक्शन, सौर प्लाज्मा के बड़े बादल होते हैं। सौर विस्फोट के बाद ये बादल अंतरिक्ष में सूर्य के मैग्नेटिक फील्ड में फैल जाते हैं।
अंतरिक्ष में घूमने की वजह से इनका विस्तार होता है और अक्सर यह कई लाख मील की दूरी तक पहुंच जाते हैं। कई बार तो यह ग्रहों के मैग्नेटिक फील्ड से टकरा जाते हैं। जब इनकी दिशा की पृथ्वी की ओर होती है, तो यह जियो मैग्नेटिक यानी भू-चुंबकीय गड़बड़ी पैदा कर सकते हैं। इनकी वजह से सैटेलाइट्स में शॉर्ट सर्किट हो सकता है और पावर ग्रिड पर असर पड़ सकता है। इनका असर ज्यादा होने पर ये पृथ्वी की कक्षा में मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों को भी खतरे में डाल सकते हैं।
जिन दो स्पेसक्राफ्ट ने इस नजारे को कैद किया, वह सूर्य से अलग-अलग दूरी पर मौजूद थे। इनमें से SOHO नाम का स्पेसक्राफ्ट हमारे सूर्य की दिशा में पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर) दूर अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण रूप से स्थिर पॉइंट- लैग्रेंज 1 पर सूर्य की परिक्रमा करता है।
सोलर फ्लेयर्स को आसान भाषा में समझना हो तो, जब सूर्य की चुंबकीय ऊर्जा रिलीज होती है, तो उससे निकलने वाली रोशनी और पार्टिकल्स से सौर फ्लेयर्स बनते हैं। हमारे सौर मंडल में ये फ्लेयर्स अबतक के सबसे शक्तिशाली विस्फोट हैं।
इनमें अरबों हाइड्रोजन बमों की तुलना में ऊर्जा रिलीज होती है। इनमें मौजूद एनर्जेटिक पार्टिकल्स प्रकाश की गति से अपना सफर तय कोरोनल मास इजेक्शन भी होता है। हाल के दिनों में ऐसी कई घटनाएं वैज्ञानिकों ने रिकॉर्ड की हैं। हालांकि इसमें हैरान होने वाली कोई बात नहीं है। हमारे सूर्य की 11 साल की एक्टिविटी साइकिल है, जो साल 2025 तक अपने पीक पर पहुंच सकती है।
स्पेस में हुआ हादसा, टेलीस्कोप से टकराया उल्का पिंड, देखे लाइव वीडियो